इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने पहलगाम हमला, सीजफायर और ट्रंप की बयानबाजी इन सभी चीजों को लेकर पीएम से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा, 16 दलों के सांसदों ने पीएम को खत लिखा. इसी दौरान आम आदमी पार्टी ने 16 दलों से हटकर इसी मामले में अगल से पीएम को खत लिखा है. उन्होंने आगे कहा, अगले दो-तीन दिनों में संसद के विशेष सत्र के लिए विपक्षी दलों के बीच हस्ताक्षर अभियान जारी रहेगा.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, सेना के शौर्य नमन के लिए, ट्रंप की बयानबाजी पर उठ रहे सवालों को लेकर हमने संसद के विशेष सत्र की मांग की है. दुनिया को जानकारी दी जा रही है तो संसद को क्यों नहीं? रामगोपाल यादव ने बीजेपी पर सवाल दागते हुए कहा, हमारी कूटनीति कैसी रही? कितने देश हमारे साथ आए? संजय राउत ने इस दौरान सवाल पूछा. प्रसिडेंट ट्रंप के कहने पर युद्ध विराम हो सकता है, तो देश के विपक्ष के कहने पर संसद का विशेष सत्र नहीं बुला सकते. मनोज झा ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति सरपंच बन रहे हैं, देश इससे आहत है, उनको जवाब संसद देगी.
दीपेंद्र हुड्डा ने क्या-क्या कहा?
दिल्ली कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, 16 राजनीतिक दलों ने अपने सभी नेताओं के माध्यम से एक चिट्ठी प्रधानमंत्री के नाम लिखी है और संयुक्त रूप से संसद के विशेष सत्र को बुलाने की मांग उठाई है. जब पहलगाम में आक्रमण हुआ तो कांग्रेस पार्टी और तमाम विपक्षी दलों ने पूर्ण रूप से देश की सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के लिए अपना समर्थन दिया. उसके बाद जो घटनाक्रम घटित हुए वह भी आपके सामने हैं.
उन्होंने आगे कहा, उसके बाद अमेरिका की तरफ से युद्धविराम की घोषणा की गई और घटनाक्रम को देखते हुए हमने (संसद के)विशेष सत्र की मांग उठाई. हमने कहा कि महत्वपूर्ण है कि एक ओर सभी सांसद और सभी दल विशेष सत्र के माध्यम से अपनी सेना का धन्यवाद कर सकें और दूसरी ओर पूरी घटना पर सरकार बिंदुवार अपनी बात रखे.
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, पहलगाम आतंकी हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, ऑपरेशन सिंदूर से लेकर अमेरिका द्वारा युद्धविराम की घोषणा तक और उसके बाद पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं, उसमें कितनी सफलता मिल रही है. इस भावना के साथ यह मांग की गई थी और इस चिट्ठी में भी यही कहा गया है. अब जब सरकार दुनिया के अलग-अलग देशों की राजधानियों में अपनी बात रख रही है तो देश की संसद के सामने भी अपनी बात रखना जरूरी है. इस भावना को आगे बढ़ाते हुए चिट्ठी के माध्यम से आज हमारे दलों के नेताओं ने इस मांग को दोहराया है.
AAP ने लिखा अलग से पत्र
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 16 पार्टियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. पत्र में पुंछ, उरी, राजौरी और संसद में स्वतंत्र चर्चा की बात कही गई है. कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई (एम), आईयूएमएल, सीपीआई, आरएसपी, जेएमएम, वीसीके, केरल कांग्रेस, एमडीएमके, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने पत्र लिखा है. साथ ही आम आदमी पार्टी कल सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेगी.
“पूरी दुनिया में देश का सम्मान गिरा”
इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि किन देशों ने हमारा समर्थन किया. एक भी देश भारत के समर्थन में नहीं आया. यह चिंताजनक है. हम कूटनीतिक मोर्चे पर असफल रहे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा की. जनता को लगता है कि हमें युद्धविराम के लिए मजबूर किया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद पूरी दुनिया में देश का सम्मान गिरा है.
INDIA के बीच दिखी अनबन
कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया है कि इन सब मामलों के लिए विशेष सत्र की मांग करने के लिए पत्र लिखने के लिए एलओपी राहुल गांधी ही थे जो समन्वित तरीके से यह पत्र चाहते थे. पहले सिर्फ कांग्रेस ही यह पत्र लिखने वाली थी, लेकिन फिर राहुल गांधी चाहते थे कि कांग्रेस नहीं इंडिया गठबंधन यह पत्र लिखे. इसके लिए राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से अखिलेश यादव, अभिषेक बनर्जी, टीआर बालू और आदित्य ठाकरे से संपर्क किया.
जहां एक तरफ कांग्रेस इस पत्र के लिए सबको इकट्ठा करने का दावा कर रही है. वहीं दूसरी तरफ टीएमसी क्लेम कर रही है कि, उसने इसके लिए इनिशिएटिव लिया, लेकिन कांग्रेस बाद में बीच में कूदी इसके चलते मुद्दे पर साथ होते हुए भी आम आदमी पार्टी ने पीएम को अलग से खत लिखने का फैसला किया और बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
हालांकि, इस मीटिंग में एनसीपी शामिल नहीं हुई क्योंकि शरद पवार ने पहले ही कहा है कि वो संसद के विशेष सत्र के समर्थन में नहीं हैं लेकिन सर्वदलीय बैठक के लिए तैयार हैं. इसी तरह, आप का मानना है कि अगर कांग्रेस इसका नेतृत्व करेगी तो वो साथ में शामिल नहीं होगी और अगर टीएमसी नेतृत्व करेगी तो वे समर्थन में आ जाएंगे.